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जिरेनियम की खेती

इन फूलों की करें खेती, जल्दी बन जाएंगे अमीर

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अगर आप भी जल्दी अमीर होना चाहते हैं, तो जिरेनियम की खेती (Geranium Cultivation) का विकल्प चुन सकते हैं. इसकी खेती करने के लिए पहली बार करीब रक लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं. लेकिन इसके आयल की बात करें, तो मार्केट में इसकी डिमांड काफी हाई है. अहर आप किसान हैं, और आप यही सोचते हैं कि, पारम्परिक खेती के जरिये ही अच्छी कमाई की जा सकती है, तो आप यहां गलत हो सकते हैं. आपको बता दें कि पारम्परिक खेती के अलावा खुशबूदार फूलों और जड़ी बूटियों की खेती करके भी काफी अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है. हालांकि केंद्र और राज्य सरकारें भी किसानों को फूलों की खेती करने का बढ़ावा दे रही हैं. जिसके लिए भारी भरकम अनुदान भी सरकार की तरफ से दिया जा रहा है. अब अगर ऐसे में किसानों को भी खुशबूदार फूलों की खेती करके मालामाल होने का ये मौका जाया नहीं होने देना चाहिए. इसके लिए किसानों को खेती के लिए अच्छे किस्म के फूलों का चयन करना होगा. जिसका बाजार में अच्छा भाव मिल जाए. हमारे देश में खुशबूदार चीजों की काफी अच्छी बिक्री की जाती है. खुशबूदार फूलों से बनी चीजें लोगों को बेहद आकर्षित करती हैं. जिनमें से इत्र, शैंपू, साबुन और ब्यूटी प्रोडक्ट्स शामिल हैं. इसके अलावा खुशबूदार फूलों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में भी किया जाता है. अगर कोई किसान फूलों की खेती करने का मन बना रहा है, तो उनके लिए जिरेनियम की खेती (Geranium Cultivation) करना एक बढ़िया विकल्प हो सकता है. जानकारी के मुताबिक जिनेरियम आयल की डिमांड बाजारों में खूब रहती है. जिस वजह से इसकी कीमत हजारों रुपये किलो रहती है. जिस वजह से किसान कम समय में ही अमीर बन सकते हैं.

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खेती में पानी की निकासी हो अच्छी

जिनेरियम की खेती (Geranium Cultivation) के लिए किसानों को इसमें ज्यादा लागत लगाने की जरूरत नहीं होती. इसकी खेती चाहें तो कहीं भी कर सकते हैं. बलुई दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे अच्छी होती है. इसके साथ ही मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच में बेहतर माना जाता है. जिरेनियम की बुवाई करने से पहले किसानों को इस बात का खास ख्याल रखना होगा, कि खेत की जुताई सही ढ़ंग से हुई हो. साथ ही खेत में पानी की निकासी भी अच्छी होनी चाहिए. पानी की अच्छी निकासी पौधों को अच्छा उत्पादन देने में कारगर होती है. अगर फसलों में पानी भरा रहेगा तो पौधों की जड़ों के सड़ने का खतरा भी बना रहता है.

हजारों रुपये किलो बिक रहा जिरेनियम आयल

अगर आप पहली बार जिरेनियम की खेती (Geranium Cultivation) कर रहे हैं, तो इसके लिए आपको करीब लाख रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं. जिरेनियम आयल की बाज़ार में काफी डिमांड है. हालांकि बाजार में इसका आयल करीब 20 हजार रुपये किलो तक बेचा जा रहा है. इसकी खेती का सबसे बड़ा फायदा किसानों को यह होता है कि, एक बार की बुवाई के बाद्द इसके पौधे से लगभग चार से पांच साल तक की कमाई पक्की हो जाती है.
पारंपरिक खेती छोड़ रोहित ने शुरू की जिरेनियम की खेती, अब कमा रहा है लाखों का मुनाफा

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जैसा कि हम जानते हैं, कि विगत कुछ वर्षों में कृषि क्षेत्र में निरंतर परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। कृषि क्षेत्र में आधुनिक उपकरणों समेत नवीन तकनीकों को भी अपनाया जा रहा है। इससे किसान भाइयों को कम वक्त में अच्छी पैदावार का फायदा मिल रहा है। साथ ही, कुछ किसान पारंपरिक खेती से हटकर नवीन तरीकों का उपयोग करके लाखों की आमदनी कर रहे हैं। वर्तमान काल में किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर नवीन फसलों की पैदावार कर रहे हैं। किसान फिलहाल गेहूं-धान जैसी फसलों पर आश्रित न होकर नगदी फसलों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। इससे उनको वक्त की बचत के साथ-साथ कम लागत में ज्यादा मुनाफा प्राप्त हो जाता है। आज हम आपको एक ऐसे ही किसान के बारे में बताऐंगे, जिन्होंने पारंपरिक खेती छोड़कर परफ्यूम फार्मिंग शुरू कर लाखों की आमदनी कर कर डाली है।

किसान रोहित कवलपुर गांव के मूल निवासी हैं

दरअसल, रोहित मुले नामक किसान की यह कहानी है, जो कि महाराष्ट्र के सांगली में कवलपुर गांव के मूल निवासी हैं। तीन वर्ष पूर्व वह भी आम किसानों की तरह ज्वार, अंगूर की खेती करते थे। परंतु, बाढ़, ओलावृष्टि एवं विभिन्न वजहों से बहुत बार फसल में हानि उठानी पड़ती थी। ऐसी स्थिति में उन्होंने कुछ अलग करने के विषय में सोचा और बहुत सारे स्थानों की यात्रा के साथ-साथ विभिन्न तरीकों की खेती के विषय में जानकारी इकट्ठी की। इस दौरान उनका ध्यान जिरेनियम की खेती पर गया। उन्हें जानकारी मिली कि जिरेनियम, लैवेंडर एवं लेमन ग्रास की भांति ही परफ्यूम प्लांट है। इन समस्त पौधों की पत्तियों से निकलने वाले तेल का उपयोग इशेंसियल ऑयल्स एवं परफ्यूम आदि में होता है। साथ ही, इस खेती से उन्हें ज्यादा मुनाफा मिल सकता है। फिर उन्होंने जिरेनियम की खेती करने का मन बना लिया।

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किसान रोहित ने जिरेनियम का उत्पादन करना शुरू किया

रोहित ने पांच एकड़ की भूमि पर जिरेनियम की खेती चालू कर दी है। इस दौरान उन्होंने कहा है, कि जिरेनियम की खेती बीज से नहीं बल्कि कटिंग के माध्यम से की जाती है। जिरेनियम के शूट्स को नर्सरी में नवीन पौधे तैयार करने के लिए उपयोग करते हैं।

जिरेनियम की खेती के लिए उपयुक्त तापमान क्या है

जिरेनियम उत्पादक किसान रोहित का कहना है, कि जिरेनियम की खेती के लिए सामान्य तापमान 30-35 डिग्री के मध्य होना चाहिए। ऐसे तापमान में आसानी से जिरेनियम की खेती की जा सकती है। एक एकड़ में जिरेनियम के 12000 पौधे रोपे जाते हैं। इसके अतिरिक्त, जिरेनियम की सिंचाई के लिए ड्रिप इरीगेशन (drip irrigation) प्रणाली होनी चाहिए।

जिरेनियम की पहली फसल कितने दिनों में पककर तैयार हो जाती है

किसान रोहित के कहने के अनुसार, जिरेनियम की खेती करने पर आपको प्रथम फसल साढ़े चार माह उपरांत ही प्राप्त हो जाती है। इसकी खेती को करने में पहली बार पौधों सहित इरीगेशन सिस्टम, खरपतवार व लेबर की लागत 1 लाख 20 हजार हो सकती है। वर्तमान में एक किलो जिरेनियम तेल की कीमत तकरीबन साढ़े आठ हजार रुपये है। एक एकड़ से एक बार में 14 से 15 किलो तेल प्राप्त हो जाता है। बतादें, कि इससे पहली लागत वसूल की जा सकती है।

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जिरेनियम के पौधे की कितनी समयावधि होती है

किसान रोहित का कहना है, कि जिरेनियम खेती की पहली कटिंग के पश्चात प्रत्येक साढ़े तीन माह में इसकी फसल हांसिल की जा सकती है। इसके पौधे तीन वर्ष तक रहते हैं। इस प्रकार से हर तीन महीने में वह लाखों की आमदनी कर लेते हैं। उनका कहना है, कि खेती से 150 किलो जिरेनियम का तेल अर्जित होता है, जिसकी आमदनी 12 लाख रुपये होती है।